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श्री सिद्ध बाबा सोढल मेला, सोढल मंदिर, जालंधर, पंजाब

श्री सिद्ध बाबा सोढल मेला, सोढल मंदिर, जालंधर, पंजाब

 

April 25, 2020 By admin


पंजाब को गुरुओं, पीरों की धरती व मेलों का प्रदेश कहा जाता है जिनमें जालंधर में लगने वाला श्री सिद्ध बाबा सोढल मेला अपना विशेष स्थान रखता है। भादों मास की अनंत चौदस को हर साल इस मेले का आयोजन सोढल मंदिर के आसपास होता है। मेला तीन-चार दिन पहले ही शुरू हो जाता है और दो-तीन बाद भी जारी रहता है। उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों से लाखों की संख्या में भक्तजन मेले के दौरान बाबा सोढल के दर पर माथा टेकते हैं और मन्नतें मांगते हैं। जिन भक्तजनों की मुराद पूरी हो जाती है वे बाजों के साथ सोढल बाबा के दर पर माथा टेकने परिवार सहित नाच-गाकर जाते हैं। यह मंदिर सिद्ध स्थान के रूप में काफी प्रसिद्ध है और इसका इतिहास करीब 200 साल पुराना है। चड्ढा बिरादरी के लोग इसे अपने जठेरों का स्थान मानते हैं।

बाबा सोढल का इतिहास:

माना जाता है कि आज जिस स्थान पर बाबा सोढल का मंदिर और सरोवर बना हुआ है पहले यहां एक तालाब और संत की कुटिया ही होती थी। संत शिव जी के अनन्य भक्त थे और लोग उनके पास अपनी समस्याएं लेकर आया करते थे। चड्ढा परिवार की एक बहू जो अक्सर बुझी-बुझी सी रहती थी, एक बार संत जी के पास आई। संत ने जब उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने जवाब दिया कि कोई संतान न होने के कारण वह दुखी जीवन व्यतीत कर रही है।

संत जी ने उस समय तो उसे दिलासा दे दिया और बाद में भोले भंडारी से उसे संतान देने हेतु प्रार्थना की। माना जाता है कि भोले भंडारी की कृपा से नाग देवता ने उस महिला की कोख से बच्चे के रूप में जन्म लिया। जब बालक करीब चार साल का था तो उसकी माता उसे साथ लेकर उसी तालाब पर कपड़े धोने आई। बालक शरारती था और भूख का बहाना लगाकर माता को घर लौटने की जिद कर रहा था। मां चूंकि काम छोडऩे को तैयार नहीं थी इसलिए उसने बच्चे को खूब डांट दिया। माता के देखते ही देखते बच्चा तालाब में समा गया और आंखों से ओझल हो गया। एकमात्र पुत्र का हश्र देख माता विलाप करने लगी। जिसके बाद बाबा सोढल नाग रूप में उसी स्थान से तालाब से बाहर आए और कहा कि जो कोई भी सच्चे मन से मनोकामना मांगेगा उसकी इच्छा अवश्य पूर्ण होगी। ऐसा कहकर नाग देवता के रूप में बाबा सोढल पुन: तालाब में समा गए। यह बाबा सोढल के प्रति लोगों की अथाह श्रद्धा व विश्वास ही है कि हर साल बाबा सोढल मेले का स्वरूप बढ़ता ही जा रहा है। मेला क्षेत्र कई किलोमीटर में फैल चुका है और हर साल श्रद्धालुओं की संख्या पहले ही अपेक्षा बढ़ती जा रही है। भक्तजन भेंट के रूप में बाबा सोढल को मट्ठी और रोट का प्रसाद चढ़ाते हैं और सरोवर पर जाकर पवित्र जल का छिड़काव लेते हैं और उसे चरणामृत की तरह पीते हैं।

 

Filed Under: Hindu Temples Tagged With: Hindu Holy Places in India, Hindu Holy Places in Jalandhar, Hindu Holy Places in Punjab, Hindu Religious Places in India, Hindu Religious Places in Jalandhar, Hindu Religious Places in Punjab

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