दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी, अँखियाँ प्यासी रे। मन मंदिर की जोत जगा दो, घाट घाट वासी रे॥ मंदिर मंदिर मूरत तेरी, फिर भी न दीखे सूरत तेरी। युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे॥ द्वार दया का जब तू खोले, पंचम सुर में गूंगा बोले। अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे॥ पानी पी कर प्यास बुझाऊँ, नैनन को कैसे समजाऊँ। आँख मिचौली छोड़ो अब तो मन के वासी रे॥ निबर्ल के बल धन … [Read more...] about दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे: हेमन्त कुमार